APJ Abdul Kalam Ki Story in Hindi | कैसे अख़बार बेचने वाला लड़का मिसाइल मैन बना

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हेलो दोस्तों समरीन इंस्टिट्यूट में एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत स्वागत है मैं हूं आपके साथ अहमद आज़मी और आज मैं आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने वाला हूं जो अख़बार बेचकर अपना खर्च उठाकर एक मिसाइल मैन बने जिसे आज पूरी दुनिया जानती है आज मैं उन्हीं APJ अब्दुल कलाम जी के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं इसीलिए आर्टिकल को अंत तक ज़रूर पढ़ें ताकि आपको सही तरीके से समझ में आ सके आखिर किस तरीके से उन्होंने मेहनत करके सफलता को प्राप्त किया है चलिए अब हम जान लेते हैं ।


APJ Abdul Kalam की प्रेरणादायक कहानी | संघर्ष से मिसाइल मैन बनने तक


दुनिया में लाखों लोग रोज़ जन्म लेते हैं और अपनी-अपनी ज़िन्दगी में खो जाते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मुश्किल वक्त में भी अपने सपनों को ज़िंदा रखते हैं और अपनी मेहनत से दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ऐसे ही महान व्यक्तित्व थे—जिन्होंने साबित किया कि गरीबी इंसान की ताकत को नहीं रोक सकती, अगर उसके सपने सच्चे हों और मेहनती ईमानदार भी हो ।


Kalam जी की कहानी सिर्फ एक वैज्ञानिक की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों की प्रेरणा है जो जीवन में संघर्ष देखते हैं लेकिन हार नहीं मानते वे कहते थे “सपना वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं, सपना वह है जो आपको सोने न दे ।


बचपन: एक साधारण परिवार, लेकिन सपने बहुत बड़े

APJ Abdul Kalam जी का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ उनका परिवार आय के मामले में बहुत साधारण था पिता नाव चलाकर रोटी रोज़ी चलाते थे और उनकी माता जी घर संभालती थीं पैसों की कमी बहुत थी, लेकिन घर में संस्कार, मेहनत और सादगी की कोई कमी नहीं थी ।


Abdul Kalam जी बचपन से ही जिज्ञासु थे वे चीज़ों को समझने, अलग तरह से देखने और नई चीज़ें सीखने में हमेशा आगे रहते थे उन्हें विज्ञान और उड़ने वाली चीज़ें बहुत आकर्षित करती थीं मां उन्हें अक्सर कहती थीं “बेटा, गरीबी कोई कमी नहीं होती, असली कमी तो सपनों की कमी होती है ।


अख़बार बेचकर पढ़ाई का खर्च पूरा करना

आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण Kalam जी को बचपन से ही काम करना पड़ा उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अख़बार बेचने का काम शुरू किया रोज़ सुबह 4 बजे उठकर पंक्चुअल तरीके से अख़बार बाँटना उनका रोज़ का रूटीन था बाद में वे कहते थे मेहनत ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है अगर मैं अख़बार नहीं बाँटता तो शायद ज़िम्मेदारी का मतलब कभी नहीं समझ पाता ।


स्कूल में एक जिज्ञासु बच्चा

स्कूल में Kalam जी कभी टॉपर नहीं रहे, लेकिन उनकी सोच और सीखने की क्षमता बहुत अलग थी वे हमेशा ये जानने की कोशिश करते थे कि चीज़ें कैसे काम करती हैं जहां बाकी बच्चे खेल में व्यस्त रहते थे, वहीं Kalam जी पक्षियों की उड़ान, वायु के दबाव और आसमान को देखने में घंटों वक्त गुज़ार देते थे उनकी इसी जिज्ञासा ने भविष्य में उन्हें एयरोस्पेस के क्षेत्र में आगे बढ़ाया ।


कॉलेज जीवन: संघर्ष और सपनों की लड़ाई

Kalam जी पढ़ना चाहते थे लेकिन कॉलेज की फीस देना बहुत मुश्किल था कई बार ऐसा हुआ कि वे फीस जमा नहीं कर पाए लेकिन उनकी लगन देखकर शिक्षकों ने भी उनका साथ दिया वे छोटे-छोटे काम करके अपनी फीस भरते थे और रात में देर तक पढ़ाई करते थे उन्होंने कहा था “अगर आप मेहनत और ईमानदारी से संघर्ष करें, तो दुनिया की कोई ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है ।


एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का सपना

Kalam जी को उड़ान हमेशा से आकर्षित करती थी इसलिए उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग चुनी यह आसान नहीं था कई बार उन्हें असफलताएं मिलीं कभी प्रोजेक्ट फेल हुए तो कभी इंटरव्यू में रिजेक्ट हुए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी उनका एक ही लक्ष्य था भारत के लिए कुछ ऐसा बनाना है जो दुनिया को चौंका दे ।


पहली नौकरी: DRDO में वैज्ञानिक

डिग्री पूरी करने के बाद Kalam जी ने DRDO जिसका पूरा नाम (Defence Research and Development Organisation) है जिसमें कलाम जी वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर शुरू किया यहां उन्होंने फ्लाइंग मशीन, मिसाइल सिस्टम और कई डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर काम किया DRDO से शुरू हुआ उनका सफर धीरे-धीरे ISRO तक पहुँचा ।


ISRO में इतिहास रचना

Kalam जी का सबसे बड़ा योगदान ISRO में देखा गया वहां उन्होंने SLV-3 प्रोजेक्ट की अगुवाई की, जिसके ज़रिए भारत ने अपनी पहली सैटेलाइट ‘रोहिणी’ को 1980 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया यह सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का टर्निंग पॉइंट थी कई असफलताओं के बाद हासिल हुई इस सफलता ने Kalam जी को एक सच्चा नेता साबित किया ।


भारत का मिसाइल मैन बनना

ISRO में सफलता के बाद Kalam जी फिर DRDO लौटे और उन्होंने भारत की मिसाइल तकनीक में क्रांति ला दी अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग और आकाश जैसी मिसाइलों के विकास में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही उनकी इसी उपलब्धि ने उन्हें “Missile Man of India” बना दिया ।


सरलता | Kalam जी की सबसे बड़ी ताकत

Kalam जी महान वैज्ञानिक थे लेकिन उनका दिल हमेशा आम लोगों से जुड़ा रहा वे सादा जीवन जीते थे छोटे घर में रहते थे कोई निजी संपत्ति नहीं थी वे कहते थे “जिंदगी में जो भी पाओ, उसे साझा करो यही सफलता का असली मतलब है वे छात्रों के बीच रहना पसंद करते थे और हमेशा उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते थे ।


भारत के राष्ट्रपति बनना

2002 में Kalam जी भारत के 11वें राष्ट्रपति बने वे लोकप्रियता और सरलता के कारण “जनता के राष्ट्रपति” कहलाए देश के हर कोने में बच्चे और युवा उन्हें अपना रोल मॉडल मानने लगे उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए भी विज्ञान, शिक्षा और युवा विकास पर लगातार काम किया ।


अंतिम दिन भी विद्यार्थियों के बीच

27 जुलाई 2015 को वे IIM शिलांग में छात्रों को लेक्चर दे रहे थे मंच पर ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वहीं उनकी मृत्यु हो गई मरते समय भी वे छात्रों को प्रेरित कर रहे थे यही बताता है कि Kalam जी सिर्फ वैज्ञानिक नहीं थे बल्कि एक सच्चे शिक्षक थे ।


Kalam जी से मिलने वाली सबसे बड़ी सीखें


1. मुश्किलों से घबराना नहीं

हर राह में कठिनाइयाँ आएंगी लेकिन हार नहीं माननी चाहिए ।


2. गरीबी आपकी पहचान नहीं

गरीबी परिस्थिति हो सकती है लेकिन आपका भविष्य नहीं ।


3. बड़े सपने देखना सीखें

सपने वह ईंधन हैं जो आपको आगे बढ़ाते हैं ।


4. ज्ञान ही शक्ति है

सीखते रहना ही सफलता की असली कुंजी है ।


5. मेहनत का कोई विकल्प नहीं

कड़ी मेहनत और अनुशासन का फल हमेशा मीठा होता है ।


निष्कर्ष

APJ Abdul Kalam जी की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कोई भी संघर्ष इतना बड़ा नहीं होता कि वो आपके सपनों को रोक सके एक गरीब परिवार का साधारण बच्चा अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक बन सकता है तो हम क्यों नहीं बन सकते उनका जीवन बताता है की “अगर आपने ठान लिया है, तो आसमान भी आपकी उड़ान को नहीं रोक सकता है । 


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