Global Warming Kya Hai In Hindi | ग्लोबल वार्मिंग क्या है पूरी जानकारी हिंदी में
हेलो दोस्तों समरीन इंस्टिट्यूट में आपका बहुत-बहुत स्वागत है आज हम आपको बताएंगे कि ग्लोबल वार्मिंग क्या है और इसे कैसे कम कर सकते हैं ? इसकी कंप्लीट जानकारी हम आपको इस आर्टिकल के अंदर देने वाले हैं इसीलिए आर्टिकल को पूरा ज़रूर पढ़ें ताकि आपको सही तरीके से समझ में आ सके तो चलिए शुरू करते हैं ।
What Is Global Warming In Hindi ?
आज के युग में मनुष्य दिनों दिन नई-नई तकनीकों का आविष्कार करता आ रहा है और विकास करने के लिए मनुष्य कई प्रकार से वातावरण को नुकसान पहुंचा रहा है जिसकी वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है इन सब के कारण धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिनमें से ग्लोबल वॉर्मिंग एक बहुत ही भयंकर समस्या है ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या है सूरज की रोशनी को लगातार ग्रहण करते हुए हमारी पृथ्वी दिन प्रतिदिन गर्म होती जा रही है जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है इस समस्या से ना केवल इंसानों को बल्कि धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुंच रहा है ।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को खत्म करने के लिए पूरे विश्व में सभी देश कुछ ना कुछ उपाय ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं परंतु इसका समाधान पाने में वे असफल है अगर लोगों को इस समस्या से निपटना है तो उन्हें ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारण और इसके प्रभाव पता होना चाहिए जो कि आज हम अपनी इस पोस्ट द्वारा आपको बताएंगे ।
ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा
धरती के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि को ग्लोबल वॉर्मिंग कहते हैं
दूसरे शब्दों में अगर हम आपको समझाने की कोशिश करें तो वायुमंडल में जब कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो उस कारण पर्यावरण के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है और तापमान में इसी बदलाव को ग्लोबल वॉर्मिंग कहा जाता है
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ
अगर आसान शब्दों में हम आपको समझाने की कोशिश करें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है पृथ्वी के तापमान में बढ़ रही गर्मी और इस कारण वर्तमान में परिवर्तन में हो रहे बदलाव जैसे कि ग्लेशियर का पिघलना और बारिश में कमी ग्लेशियर के जल स्तर में वृद्धि आदि सामने आए परिणामों को ही ग्लोबल वॉर्मिंग कहते हैं
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीनहाउस गैस से होती है अब आप सोच रहे होंगे कि ग्रीनहाउस गैस क्या है तो हम आपको बता दें कि ग्रीन हाउस गैस वे गैस होती है जो सूरज द्वारा उत्पन्न हुई गर्मी को अपने अंदर सोख लेती है ग्रीन हाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन को मिलकर बनती है ग्रीन हाउस गैस के बढ़ने का कारण कार्बन डाइऑक्साइड है जो हम मनुष्य द्वारा सांस लेने के बाद छोड़ी जाती है वातावरण में जितनी कार्बन डाइऑक्साइड गैस होगी उतनी ही ग्रीन हाउस गैस बढ़ेगी और कार्बन साइंटिस्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्ष में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत बड़ी है ।
प्रदूषण
ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण वायुमंडल के तापमान में होने वाली लगातार वृद्धि के कारण में प्रदूषण भी एक कारण है प्रदूषण बहुत प्रकार के होते हैं जैसे की हवा में फैला हुआ वायु प्रदूषण और जल में जल प्रदूषण जिसमें वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा हाथ है और इसी प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कई प्रकार की गैसें बनती जा रही है जो ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ा रही है ।
जंगलों की कटाई
मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता है जैसे कि किसी फैक्ट्री को बनवाने के लिए वनों की कटाई करता है हम आपको बता दें कि वातावरण के संतुलन में सबसे बड़ा योगदान जंगलों का ही रहता है परंतु मनुष्य द्वारा उन्हीं जंगलों के काटे जाने से वातावरण बहुत अधिक गर्म हो गया है जिस कारण जलस्तर में वृद्धि हो रही है और अगर इसी तरह जल स्तर में वृद्धि होती रही तो वह समय दूर नहीं कि पूरी दुनिया समुंद्र में डूब जाएगी ।
ओजोन परत में कमी आना
ग्लोबल वार्मिंग के बड़ने का सबसे बड़ा कारण ओजोन परत में कमी आना भी है जैसा कि आप जानते हैं ओजोन परत का कार्य सूरज से उत्पन्न हुई हानिकारक गैस जैसे की अल्ट्रावायलेट गैस को पृथ्वी की ओर जाने से रोकना है परंतु ओजोन परत में कमी आने के कारण ऐसी गैस से विश्व में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है ओजोन परत में कमी भी इंसानों के कारण ही आ रही है मनुष्य द्वारा CFC गैस का बहुत इस्तेमाल किया जा रहा है वह CFC गैस के कारण ही ओजोन परत में कमी आती है और धरती पर ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ना इसी बात का संकेत है कि ओजोन परत मैं कमी आ रही है ।
ओजोन परत में कमी आने के कारण सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर आ जाती है और ग्रीनहाउस गैस से इसे सोक लेती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही है ।
ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव
1. ग्लोबल वार्मिंग जिस गति से बढ़ रही है उसके कारण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं जैसे कि अमेरिका के एक भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार बुटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे परंतु ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से अब यहां पर बस 25 ही ग्लेशियर बचे हैं ।
2. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे परिवर्तन हुए हैं जैसे गर्मी के मौसम में बहुत अधिक गर्मी का होना और सर्दियों के मौसम में भी ज्यादा सर्दी ना रहना ओजोन परत में छेद बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर और पहाड़ों का पिघलना जिससे कि जलस्तर ऊपर आ रहा है ।
3. कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने से कैंसर जैसी बड़ी बीमारियां भी बहुत तेजी से बढ़ रही है और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रेगिस्तान का विस्तार होने के साथ पशु पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है ।
4. ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ने से ऑक्सीजन में भी बहुत कमी आ रही है जिससे ओजोन परत में छेद हो रहा है और आजकल अब देख रहे हैं कि गर्मियों का मौसम बहुत अधिक समय तक रहता है और सर्दियों का कम समय तक यह भी ग्लोबल वार्मिंग के कारण हैं ।
ग्लोबल वार्मिंग के घातक परिणाम
अगर पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों में इसी प्रकार वृद्धि होती रही तो वैज्ञानिकों के अनुसार वह समय दूर नहीं की 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है ।
और अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादर और बर्फ के ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे कि जल स्तर कई फीट ऊपर आ जाएगा और समुद्र के इस बर्ताव के कारण धरती के कई इससे जलमग्न हो जाएंगे जिससे कि भारी तबाही मचेगी और यह तबाही इतनी भयानक होगी जो किसी विश्व युद्ध एस्ट्रॉयड के पृथ्वी के गिरने से भी अधिक तबाही मचाएगी और ग्लोबल वॉर्मिंग पृथ्वी के साथ-साथ मानवीय जीवन के लिए भी बहुत हानिकारक है ।
तो आशा है कि आप ग्लोबल वार्मिंग के बारे में सब कुछ जान गए होंगे और आपको हमारा आर्टिकल भी पसंद आया होगा और इसी प्रकार की जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट को फॉलो करते रहें ताकि भविष्य में इस प्रकार की जानकारी को जानने के लिए आप पीछे ना रह जाए और आप चाहे तो हमारी वेबसाइट की बाकी पोस्ट भी चेक कर सकते हैं ।
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